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− | '''پس چہ باید کرد اے اقوام شرق'''
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− | پس چہ باید کرد اے اقوام شرق
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− | باز روشن می شود ایام شرق
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− | در ضمیرش انقلاب آمد پدید
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− | شب گذشت و آفتاب آمد پدید
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− | یورپ از شمشیر خود بسمل فتاد
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− | زیر گردون رسم لادینی نہاد
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− | گرگے اندر پوستین برہ ئی
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− | ہر زمان اندر کمین برہ ئی
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− | مشکلات حضرت انسان ازوست
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− | آدمیت را غم پنہان ازوست
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− | در نگاہش آدمی آب و گل است
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− | کاروان زندگی بی منزل است
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− | ہر چہ می بینی ز انوار حق است
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− | حکمت اشیا ز اسرار حق است
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− | ہر کہ آیات خدا بیند، حر است
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− | اصل این حکمت ز حکم "انظر" است
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− | بندۂ مومن ازو بھروز تر
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− | ھم بحال دیگران دلسوز تر
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− | علم چون روشن کند آب و گلش
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− | از خدا ترسندہ تر گردد دلش
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− | علم اشیا خاک ما را کیمیاست
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− | آہ در افرنگ تأثیرش جداست
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− | عقل و فکرش بی عیار خوب و زشت
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− | چشم او بی نم، دل او سنگ و خشت
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− | علم ازو رسواست اندر شہر و دشت
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− | جبرئیل از صحبتش ابلیس گشت
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− | دانش افرنگیان تیغی بدوش
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− | در ہلاک نوع انسان سخت کوش
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− | با خسان اندر جھان خیر و شر
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− | در نسازد مستی علم و ہنر
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− | آہ از افرنگ و از آئین او
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− | آہ از اندیشۂ لا دین او
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− | علم حق را ساحری آموختند
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− | ساحری نے کافری آموختند
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− | ہر طرف صد فتنہ می آرد نفیر
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− | تیغ را از پنجۂ رھزن بگیر
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− | اے کہ جان را باز میدانی ز تن
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− | سحر این تہذیب لا دینے شکن
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− | روح شرق اندر تنش باید دمید
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− | تا بگردد قفل معنی را کلید
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− | عقل اندر حکم دل یزدانی است
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− | چون ز دل آزاد شد شیطانی است
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− | زندگانی ھر زمان در کشمکش
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− | عبرت آموز است احوال حبش
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− | شرع یورپ بی نزاع قیل و قال
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− | برہ را کرد است بر گرگان حلال
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− | نقش نو اندر جھان باید نھاد
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− | از کفن دزدان چہ امید گشاد
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− | در جنیوا چیست غیر از مکر و فن؟
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− | صید تو این میش و آن نخچیر من
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− | نکتہ ہا کو می نگنجد در سخن
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− | یک جہان آشوب و یک گیتی فتن
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− | اے اسیر رنگ، پاک از رنگ شو
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− | مومن خود، کافر افرنگ شو
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− | رشتۂ سود و زیان در دست تست
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− | آبروی خاوران در دست تست
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− | این کہن اقوام را شیرازہ بند
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− | رایت صدق و صفا را کن بلند
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− | اہل حق را زندگی از قوت است
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− | قوت ہر ملت از جمعیت است
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− | رای بی قوت ہمہ مکر و فسون
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− | قوت بی رای جہل است و جنون
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− | سوز و ساز و درد و داغ از آسیاست
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− | ہم شراب و ہم ایاغ از آسیاست
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− | عشق را ما دلبری آموختیم
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− | شیوۂ آدم گری آموختیم
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− | ہم ہنر، ہم دین ز خاک خاور است
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− | رشک گردون خاک پاک خاور است
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− | وانمودیم آنچہ بود اندر حجاب
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− | آفتاب از ما و ما از آفتاب
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− | ہر صدف را گوہر از نیسان ماست
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− | شوکت ہر بحر از طوفان ماست
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− | روح خود در سوز بلبل دیدہ ایم
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− | خون آدم در رگ گل دیدہ ایم
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− | فکر ما جویای اسرار وجود
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− | زد نخستین زخمہ بر تار وجود
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− | داشتیم اندر میان سینہ داغ
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− | بر سر راہی نھادیم این چراغ
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− | اے امین دولت تہذیب و دین
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− | آن ید بیضا برآر از آستین
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− | خیز و از کار امم بگشا گرہ
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− | نشۂ افرنگ را از سر بنہ
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− | نقشی از جمعیت خاور فکن
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− | واستان خود را ز دست اہرمن
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− | دانی از افرنگ و از کار فرنگ
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− | تا کجا در قید زنار فرنگ
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− | زخم ازو، نشتر ازو، سوزن ازو
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− | ما و جوی خون و امید رفو
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− | خود بدانی پادشاہی، قاہری است
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− | قاہری در عصر ما سوداگری است
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− | تختۂ دکان شریک تخت و تاج
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− | از تجارت نفع و از شاہی خراج
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− | آن جہانبانی کہ ہم سوداگر است
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− | بر زبانش خیر و اندر دل شر است
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− | گر تو میدانی حسابش را درست
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− | از حریرش نرم تر کرپاس تست
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− | بی نیاز از کارگاہ او گذر
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− | در زمستان پوستین او مخر
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− | کشتن بی حرب و ضرب آئین اوست
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− | مرگہا در گردش ماشین اوست
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− | بوریاے خود بہ قالینش مدہ
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− | بیذق خود را بہ فرزینش مدہ
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− | گوہرش تف دار و در لعلش رگ است
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− | مشک این سوداگر از ناف سگ است
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− | رہزن چشم تو خواب مخملش
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− | رہزن تو رنگ و آب مخملش
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− | صد گرہ افکندہ ئی در کار خویش
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− | از قماش او مکن دستار خویش
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− | ہوشمندے از خم او می نخورد
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− | ہر کہ خورد اندر ہمین میخانہ مرد
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− | وقت سودا خندخند و کم خروش
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− | ما چو طفلانیم و او شکر فروش
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− | محرم از قلب و نگاہ مشتری است
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− | یارب این سحر است یا سوداگری است
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− | تاجران رنگ و بو بردند سود
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− | ما خریداران ھمہ کور و کبود
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− | آنچہ از خاک تو رست اے مرد حر
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− | آن فروش و آن بپوش و آن بخور
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− | آن نکوبینان کہ خود را دیدہ اند
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− | خود گلیم خویش را بافیدہ اند
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− | اے ز کار عصر حاضر بے خبر
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− | چرب دستیہای یورپ را نگر
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− | قالی از ابریشم تو ساختند
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− | باز او را پیش تو انداختند
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− | چشم تو از ظاہرش افسون خورد
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− | رنگ و آب او ترا از جا برد
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− | واے آن دریا کہ موجش کم تپید
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− | گوھر خود را ز غواصان خرید
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