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− | '''مرد حر'''
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− | مرد حر محکم ز ورد "لاتخف"
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− | ما بمیدان سر بجیب او سر بکف
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− | مرد حر از لاالہ روشن ضمیر
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− | می نگردد بندۂ سلطان و میر
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− | مرد حر چون اشتران باری برد
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− | مرد حر باری برد خاری خورد
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− | پای خود را آنچنان محکم نہد
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− | نبض رہ از سوز او بر می جہد
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− | جان او پایندہ تر گردد ز موت
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− | بانگ تکبیرش برون از حرف و صوت
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− | ہر کہ سنگ راہ را داند زجاج
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− | گیرد آن درویش از سلطان خراج
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− | گرمی طبع تو از صہبای اوست
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− | جوی تو پروردۂ دریای اوست
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− | پادشاہان در قباہای حریر
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− | زرد رو از سھم آن عریان فقیر
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− | سر دین ما را خبر، او را نظر
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− | او درون خانہ ما بیرون در
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− | ما کلیسا دوست، ما مسجد فروش
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− | او ز دست مصطفی پیمانہ نوش
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− | نے مغان را بندہ، نے ساغر بدست
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− | ما تہی پیمانہ او مست الست
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− | چہرہ گل از نم او احمر است
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− | ز آتش ما دود او روشنتر است
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− | دارد اندر سینہ تکبیر امم
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− | در جبین اوست تقدیر امم
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− | قبلۂ ما گہ کلیسا، گاہ دیر
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− | او نخواہد رزق خویش از دست غیر
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− | ما ہمہ عبد فرنگ او عبدہ
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− | او نگنجد در جہان رنگ و بو
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− | صبح و شام ما بہ فکر ساز و برگ
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− | آخر ما چیست تلخیہای مرگ
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− | در جہان بی ثبات او را ثبات
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− | مرگ او را از مقامات حیات
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− | اہل دل از صحبت ما مضمحل
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− | گل ز فیض صحبتش دارای دل
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− | کار ما وابستۂ تخمین و ظن
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− | او ہمہ کردار و کم گوید سخن
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− | ما گدایان کوچہ گرد و فاقہ مست
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− | فقر او از لاالہ تیغی بدست
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− | ما پر کاہے اسیر گرد باد
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− | ضربش از کوہ گران جوئی گشاد
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− | محرم او شو ز ما بیگانہ شو
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− | خانہ ویران باش و صاحب خانہ شو
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− | شکوہ کم کن از سپہر گرد گرد
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− | زندہ شو از صحبت آن زندہ مرد
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− | صحبت از علم کتابی خوشتر است
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− | صحبت مردان حر آدم گر است
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− | مرد حر دریای ژرف و بیکران
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− | آب گیر از بحر و نے از ناودان
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− | سینۂ این مردمی جوشد چو دیگ
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− | پیش او کوہ گران یک تودہ ریگ
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− | روز صلح آن برگ و ساز انجمن
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− | ہم چو باد فرودین اندر چمن
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− | روز کین آن محرم تقدیر خویش
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− | گور خود می کندد از شمشیر خویش
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− | اے سرت گردم گریز از ما چو تیر
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− | دامن او گیر و بیتابانہ گیر
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− | می نروید تخم دل از آب و گل
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− | بی نگاہی از خداوندان دل
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− | اندر این عالم نیرزی با خسی
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− | تا نیاویزی بدامان کسی
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