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− | '''خطاب بہ پادشاہ اسلام اعلیحضرت ظاہر شاہ'''
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− | اے قبای پادشاہی بر تو راست
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− | سایۂ تو خاک ما را کیمیاست
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− | خسروی را از وجود تو عیار
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− | سطوت تو ملک و دولت را حصار
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− | از تو اے سرمایۂ فتح و ظفر
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− | تخت احمد شاہ را شانی دگر
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− | سینہ ہا بی مہر تو ویرانہ بہ
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− | از دل و از آرزو بیگانہ بہ
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− | آبگون تیغی کہ دارے در کمر
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− | نیم شب از تاب او گردد سحر
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− | نیک میدانم کہ تیغ نادر است
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− | من چہ گویم باطن او ظاہر است
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− | حرف شوق آوردہ ام از من پذیر
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− | از فقیری رمز سلطانی بگیر
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− | اے نگاہ تو ز شاہین تیز تر
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− | گرد این ملک خدا دادی نگر
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− | این کہ می بینیم از تقدیر کیست
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− | چیست آن چیزی کہ میبایست و نیست
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− | روز و شب آئینۂ تدبیر ماست
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− | روز و شب آئینۂ تقدیر ماست
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− | با تو گویم اے جوان سخت کوش
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− | چیست فردا ؟ دختر امروز و دوش
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− | ہر کہ خود را صاحب امروز کرد
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− | گرد او گردد سپہر گرد گرد
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− | او جہان رنگ و بو را آبروست
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− | دوش ازو، امروز ازو، فردا ازوست
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− | مرد حق سرمایۂ روز و شب است
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− | زانکہ او تقدیر خود را کوکب است
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− | بندۂ صاحب نظر پیر امم
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− | چشم او بینای تقدیر امم
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− | از نگاہش تیز تر شمشیر نیست
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− | ما ہمہ نخچیر، او نخچیر نیست
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− | لرزد از اندیشۂ آن پختہ کار
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− | حادثات اندر بطون روزگار
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− | چون پدر اہل ہنر را دوست دار
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− | بندۂ صاحب نظر را دوست دار
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− | ہمچو آن خلد آشیان بیدار زی
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− | سخت کوش و پر دم و کرار زی
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− | می شناسی معنی کرار چیست؟
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− | این مقامی از مقامات علی است
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− | امتان را در جہان بی ثبات
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− | نیست ممکن جز بہ کراری حیات
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− | سر گذشت آل عثمان را نگر
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− | از فریب غربیان خونین جگر
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− | تا ز کراری نصیبی داشتند
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− | در جہان، دیگر علم افراشتند
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− | مسلم ہندی چرا میدان گذاشت؟
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− | ہمت او بوی کراری نداشت
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− | مشت خاکش آنچنان گردیدہ سرد
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− | گرمی آواز من کارے نکرد
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− | ذکر و فکر نادری در خون تست
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− | قاہری با دلبری در خون تست
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− | اے فروغ دیدۂ برنا و پیر
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− | سرکار از ہاشم و محمود گیر
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− | ہم از آن مردی کہ اندر کوہ و دشت
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− | حق ز تیغ او بلند آوازہ گشت
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− | روز ہا، شب ہا تپیدن میتوان
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− | عصر دیگر آفریدن میتوان
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− | صد جہان باقی است در قرآن ہنوز
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− | اندر آیاتش یکی خود را بسوز
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− | باز افغان را از آن سوزی بدہ
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− | عصر او را صبح نو روزی بدہ
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− | ملتی گم گشتۂ کوہ و کمر
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− | از جبینش دیدہ ام چیزی دگر
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− | زانکہ بود اندر دل من سوز و درد
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− | حق ز تقدیرش مرا آگاہ کرد
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− | کاروبارش را نکو سنجیدہ ام
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− | آنچہ پنہان است پیدا دیدہ ام
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− | مرد میدان زندہ از اﷲ ہوست
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− | زیر پای او جہان چار سوست
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− | بندہ ئی کو دل بغیراﷲ نبست
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− | می توان سنگ از زجاج او شکست
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− | او نگنجد در جہان چون و چند
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− | تہمت ساحل بہ این دریا مبند
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− | چون ز روی خویش بر گیرد حجاب
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− | او حسابست او ثوابست او عذاب
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− | برگ و ساز ما کتاب و حکمت است
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− | این دو قوت اعتبار ملت است
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− | آن فتوحات جہان ذوق و شوق
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− | این فتوحات جہان تحت و فوق
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− | ہر دو انعام خدای لایزال
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− | مومنان را آن جمال است این جلال
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− | حکمت اشیا فرنگی زاد نیست
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− | اصل او جز لذت ایجاد نیست
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− | نیک اگر بینی مسلمان زادہ است
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− | این گہر از دست ما افتادہ است
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− | چون عرب اندر اروپا پر گشاد
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− | علم و حکمت را بنا دیگر نہاد
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− | دانہ آن صحرا نشینان کاشتند
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− | حاصلش افرنگیان برداشتند
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− | این پری از شیشہ اسلاف ماست
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− | باز صیدش کن کہ او از قاف ماست
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− | لیکن از تہذیب لا دینی گریز
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− | زانکہ او با اہل حق دارد ستیز
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− | فتنہ ھا این فتنہ پرداز آورد
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− | لات و عزی در حرم باز آورد
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− | از فسونش دیدۂ دل نا بصیر
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− | روح از بی آبی او تشنہ میر
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− | لذت بیتابی از دل می برد
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− | بلکہ دل زین پیکر گل می برد
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− | کہنہ دزدی غارت او برملا ست
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− | لالہ می نالد کہ داغ من کجاست
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− | حق نصیب تو کند ذوق حضور
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− | باز گویم آنچہ گفتم در زبور
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− | "مردن و ہم زیستن اے نکتہ رس
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− | این ہمہ از اعتبارات است و بس
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− | مرد کر سوز نوا را مردہ ئے
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− | لذت صوت و صدا را مردہ ئی
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− | پیش چنگی مست و مسرور است کور
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− | پیش رنگی زندہ در گور است کور
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− | روح باحق زندہ و پایندہ است
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− | ورنہ این را مردہ، آن را زندہ است
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− | آنکہ "حی لایموت" آمد حق است
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− | زیستن با حق حیات مطلق است
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− | ہر کہ بی حق زیست جز مردار نیست
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− | گرچہ کس در ماتم او زار نیست"
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− | برخور از قرآن اگر خواہی ثبات
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− | در ضمیرش دیدہ ام آب حیات
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− | می دہد ما را پیام "لاتخف"
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− | می رساند بر مقام لاتخف
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− | قوت سلطان و میر از لاالہ
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− | ہیبت مرد فقیر از لاالہ
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− | تا دو تیغ لا و الا داشتیم
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− | ماسوی اﷲ را نشان نگذاشتیم
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− | خاوران از شعلۂ من روشن است
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− | اے خنک مردی کہ در عصر من است
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− | از تب و تابم نصیب خود بگیر
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− | بعد ازین ناید چو من مرد فقیر
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− | گوہر دریای قرآن سفتہ ام
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− | شرح رمز "صبغة اﷲ" گفتہ ام
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− | با مسلمانان غمی بخشیدہ ام
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− | کہنہ شاخی را نمی بخشیدہ ام
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− | عشق من از زندگی دارد سراغ
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− | عقل از صہبای من روشن ایاغ
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− | نکتہ ہای خاطر افروزی کہ گفت؟
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− | با مسلمان حرف پرسوزی کہ گفت؟
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− | ہمچو نے نالیدم اندر کوہ و دشت
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− | تا مقام خویش بر من فاش گشت
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− | حرف شوق آموختم وا سوختم
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− | آتش افسردہ باز افروختم
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− | با من آہ صبحگاہی دادہ اند
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− | سطوت کوہی بہ کاہی دادہ اند
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− | دارم اندر سینہ نور لاالہ
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− | در شراب من سرور لاالہ
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− | فکر من گردون مسیر از فیض اوست
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− | جوی ساحل ناپذیر از فیض اوست
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− | پس بگیر از بادہ من یک دو جام
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− | تا درخشی مثل تیغ بی نیام
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