|
|
Line 1: |
Line 1: |
− | <center>
| |
− | ==در معنی اینکہ چون ملت محمدیہ==
| |
− |
| |
| | | |
− | ===در معنی اینکہ چون ملت محمدیہ موسس بر توحید و رسالت است پس نہایت مکانی ندارد===
| |
− |
| |
− |
| |
− | جوہر ما با مقامی بستہ نیست<br>
| |
− | بادہ ی تندش بجامی بستہ نیست<br>
| |
− |
| |
− | ہندی و چینی سفال جام ماست<br>
| |
− | رومی و شامی گل اندام ماست<br>
| |
− |
| |
− | قلب ما از ہند و روم و شام نیست<br>
| |
− | مرز و بوم او بجز اسلام نیست<br>
| |
− |
| |
− | پیش پیغمبر چو کعب پاک زاد<br>
| |
− | ھدیہ یی آورد از بانت سعاد<br>
| |
− |
| |
− | در ثنایش گوہر شب تاب سفت<br>
| |
− | سیف مسلول از سیوف الہند گفت<br>
| |
− |
| |
− | آن مقامش برتر از چرخ بلند<br>
| |
− | نامدش نسبت بہ اقلیمی پسند<br>
| |
− |
| |
− | گفت سیف من سیوف اللہ گو<br>
| |
− | حق پرستی جز براہ حق مپو<br>
| |
− |
| |
− | ہمچنان آن رازدان جزو و کل<br>
| |
− | گرد پایش سرمہ ی چشم رسل<br>
| |
− |
| |
− | گفت با امت ز دنیای شما<br>
| |
− | دوست دارم طاعت و طیب و نسا<br>
| |
− |
| |
− | گر ترا ذوق معانی رھنماست<br>
| |
− | نکتہ ئی پوشیدہ در حرف "شما"ست<br>
| |
− |
| |
− | یعنی آن شمع شبستان وجود<br>
| |
− | بود در دنیا و از دنیا نبود<br>
| |
− |
| |
− | جلوہ ی او قدسیان را سینہ سوز<br>
| |
− | بود اندر آب و گل آدم ہنوز<br>
| |
− |
| |
− | من ندانم مرز و بوم او کجاست<br>
| |
− | این قدر دانم کہ با ما آشناست<br>
| |
− |
| |
− | این عناصر را جہان ما شمرد<br>
| |
− | خویشتن را میہمان ما شمرد<br>
| |
− |
| |
− | زانکہ ما از سینہ جان گم کردہ ایم<br>
| |
− | خویش را در خاکدان گم کردہ ایم<br>
| |
− |
| |
− | مسلم استی دل بہ اقلیمی مبند<br>
| |
− | گم مشو اندر جہان چون و چند<br>
| |
− |
| |
− | می نگنجد مسلم اندر مرز و بوم<br>
| |
− | در دل او یاوہ گردد شام و روم<br>
| |
− |
| |
− | دل بدست آور کہ در پہنای دل<br>
| |
− | می شود گم این سرای آب و گل<br>
| |
− |
| |
− | عقدہ ی قومیت مسلم گشود<br>
| |
− | از وطن آقای ما ہجرت نمود<br>
| |
− |
| |
− | حکمتش یک ملت گیتی نورد<br>
| |
− | بر اساس کلمہ ئی تعمیر کرد<br>
| |
− |
| |
− | تا ز بخششہای آن سلطان دین<br>
| |
− | مسجد ما شد ھمہ روی زمین<br>
| |
− |
| |
− | آنکہ در قرآن خدا او را ستود<br>
| |
− | آن کہ حفظ جان او موعود بود<br>
| |
− |
| |
− | دشمنان بے دست و پا از ہیبتش<br>
| |
− | لرزہ بر تن از شکوہ فطرتش<br>
| |
− |
| |
− | پس چرا از مسکن آبا گریخت<br>
| |
− | تو گمان داری کہ از اعدا گریخت<br>
| |
− |
| |
− | قصہ گویان حق ز ما پوشیدہ اند<br>
| |
− | معنی ہجرت غلط فہمیدہ اند<br>
| |
− |
| |
− | ہجرت آئین حیات مسلم است<br>
| |
− | این ز اسباب ثبات مسلم است<br>
| |
− |
| |
− | معنی او از تنک آبی رم است<br>
| |
− | ترک شبنم بہر تسخیر یم است<br>
| |
− |
| |
− | بگذر از گل گلستان مقصود تست<br>
| |
− | این زیان پیرایہ بند سود تست<br>
| |
− |
| |
− | مہر را آزادہ رفتن آبروست<br>
| |
− | عرصہ ی آفاق زیر پای اوست<br>
| |
− |
| |
− | ہمچو جو سرمایہ از باران مخواہ<br>
| |
− | بیکران شو در جہان پایان مخواہ<br>
| |
− |
| |
− | بود بحر تلخ رو یک سادہ دشت<br>
| |
− | ساحلی ورزید و از شرم آب گشت<br>
| |
− |
| |
− | بایدت آہنگ تسخیر ھمہ<br>
| |
− | تا تو می باشی فراگیر ھمہ<br>
| |
− |
| |
− | صورت ماہی بہ بحر آباد شو<br>
| |
− | یعنی از قید مقام آزاد شو<br>
| |
− |
| |
− | ہر کہ از قید جہات آزاد شد<br>
| |
− | چون فلک در شش جہت آباد شد<br>
| |
− |
| |
− | بوی گل از ترک گل جولانگر است<br>
| |
− | در فراخای چمن خود گسترست<br>
| |
− |
| |
− | اے کہ یک جا در چمن انداختی<br>
| |
− | مثل بلبل با گلی در ساختی<br>
| |
− |
| |
− | چون صبا بار قبول از دوش گیر<br>
| |
− | گلشن اندر حلقہ ی آغوش گیر<br>
| |
− |
| |
− | از فریب عصر نو ہشیار باش<br>
| |
− | رہ فتد اے رہرو ہشیار باش<br>
| |
− | </center>
| |