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− | '''در اسرار شریعت'''
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− | نکتہ ہا از پیر روم آموختم
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− | خویش را در حرف او واسوختم
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− | مال را گر بھر دین باشی حمول
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− | "نعم مال صالح گوید رسول
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− | رومی
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− | گر نداری اندر این حکمت نظر
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− | تو غلام و خواجۂ تو سیم و زر
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− | از تہی دستان گشاد امتان
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− | از چنین منعم فساد امتان
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− | جدت اندر چشم او خوار است و بس
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− | کہنگی را او خریدار است و بس
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− | در نگاہش ناصواب آمد صواب
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− | ترسد از ہنگامہ ہای انقلاب
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− | خواجہ نان بندۂ مزدور خورد
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− | آبروی دختر مزدور برد
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− | در حضورش بندہ می نالد چو نے
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− | بر لب او نالہ ہای پی بہ پی
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− | نے بجامش بادہ و نے در سبوست
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− | کاخہا تعمیر کرد و خود بکوست
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− | اے خوش آن منعم کہ چون درویش زیست
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− | در چنین عصری خدا اندیش زیست
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− | تا ندانی نکتۂ اکل حلال
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− | بر جماعت زیستن گردد وبال
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− | آہ یورپ زین مقام آگاہ نیست
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− | چشم او "ینظر بنور اﷲ" نیست
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− | او نداند از حلال و از حرام
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− | حکمتش خام است و کارش ناتمام
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− | امتی بر امتے دیگر چرد
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− | دانہ این می کارد آن حاصل برد
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− | از ضعیفان نان ربودن حکمتست
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− | از تن شان جان ربودن حکمتست
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− | شیوۂ تہذیب نو آدم دری است
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− | پردۂ آدم دری سوداگری است
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− | این بنوک این فکر چالاک یہود
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− | نور حق از سینۂ آدم ربود
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− | تا تہ و بالا نگردد این نظام
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− | دانش و تہذیب و دین، سودای خام
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− | آدمی اندر جھان خیر و شر
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− | کم شناسد نفع خود را از ضرر
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− | کس نداند زشت و خوب کار چیست
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− | جادۂ ہموار و ناہموار چیست
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− | شرع بر خیزد ز اعماق حیات
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− | روشن از نورش ظلام کائنات
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− | گر جہان داند حرامش را حرام
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− | تا قیامت پختہ ماند این نظام
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− | نیست این کار فقیہان اے پسر
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− | با نگاہے دیگری او را نگر
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− | حکمش از عدلست و تسلیم و رضاست
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− | بیخ او اندر ضمیر مصطفی است
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− | از فراق است آرزوہا سینہ تاب
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− | تو نمانی چون شود او بی حجاب
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− | از جدائی گرچہ جان آید بلب
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− | وصل او کم جو رضای او طلب
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− | مصطفی داد از رضای او خبر
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− | نیست در احکام دین چیزی دگر
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− | تخت جم پوشیدہ زیر بوریاست
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− | فقر و شاہی از مقامات رضاست
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− | حکم سلطان گیر و از حکمش منال
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− | روز میدان نیست روز قیل و قال
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− | تا توانی گردن از حکمش پیچ
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− | تا نپیچد گردن از حکم تو ہیچ
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− | از شریعت احسن التقویم شو
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− | وارث ایمان ابراھیم شو
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− | پس طریقت چیست اے والاصفات
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− | شرع را دیدن بہ اعماق حیات
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− | فاش میخواہی اگر اسرار دین
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− | جز بہ اعماق ضمیر خود مبین
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− | گر نبینی، دین تو مجبوری است
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− | اینچنین دین از خدا مہجوری است
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− | بندہ تا حق را نبیند آشکار
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− | بر نمی آید ز جبر و اختیار
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− | تو یکی در فطرت خود غوطہ زن
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− | مرد حق شو بر ظن و تخمین متن
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− | تا ببینی زشت و خوب کار چیست
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− | اندر این نہ پردۂ اسرار چیست
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− | ہر کہ از سر نبی گیرد نصیب
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− | ہم بہ جبریل امین گردد قریب
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− | اے کہ مے نازی بہ قرآن عظیم
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− | تا کجا در حجرہ مے باشی مقیم
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− | در جہان اسرار دین را فاش کن
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− | نکتہ شرع مبین را فاش کن
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− | کس نگردد در جھان محتاج کس
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− | نکتہ شرع مبین این است و بس
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− | مکتب و ملا سخنہا ساختند
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− | مومنان این نکتہ را نشناختند
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− | زندہ قومے بود از تأویل مرد
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− | آتش او در ضمیر او فسرد
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− | صوفیان با صفا را دیدہ ام
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− | شیخ مکتب را نکو سنجیدہ ام
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− | عصر من پیغمبری ھم آفرید
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− | آنکہ در قرآن بغیر از خود ندید
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− | ہر یکی دانای قرآن و خبر
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− | در شریعت کم سواد و کم نظر
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− | عقل و نقل افتادہ در بند ہوس
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− | منبرشان منبر کاک است و بس
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− | زین کلیمان نیست امید گشود
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− | آستین ہا بی ید بیضا چہ سود
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− | کار اقوام و ملل ناید درست
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− | از عمل بنما کہ حق در دست تست
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